बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन
प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
अथवा
भोजन के पौष्टिक मूल्य को किस तरीके से बढ़ाया जा सकता है? किन्हीं दो तरीकों को विस्तारपूर्वक समझाइये।
उत्तर -
भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीकों का वर्णन निम्नलिखित है-
1- भोजन पदार्थों की मिश्रण विधि (Combination method) - जब एक से अधिक भोज्य पदार्थों को मिश्रित करके प्रयोग किया जाता है तो इसे मिश्रण विधि कहते हैं। इस विधि में खाद्य पदार्थों को मिश्रित करके बनाने से पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं। जैसे दालों को अन्य तृणधान्यों के साथ उपयोग करने से उसकी पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं दाल में पालक, लौकी, टमाटर, प्याज, धनिया आदि डालकर बनाने से दाल की पौष्टिकता बढ़ जाती है इससे प्रोटीन के साथ-साथ आयरन, कैल्शियम, विटामिन्स, तथा अन्य खनिज लवण बढ जाते हैं।
गेहूँ के साथ चना, रागी, सोयाबीन, जौ आदि मिश्रित करके आटा बनाने से आटे की पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं और ऐसा आटा पौष्टिकता से भरपूर होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है।
गेहूँ के दलिया को दूध में बनाकर, सब्जियों के साथ नमकीन दलिया बनाकर पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं। चावल से खिचड़ी, पुलाव, खीर आदि बनाकर चावल की पौष्टिकता बढ़ा सकते हैं। मिश्रित पराठा जैसे प्याज का, आलू, मिश्रित सब्जी, पालक, पनीर, चीज, मैथी आदि का पराठा पौष्टिकता में वृद्धिं कर सकता हैं।
एक सब्जी के साथ अन्य सब्जियों को मिलाकर बनाने तथा सब्जी के साथ दाल का प्रयोग करने से पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं। मीट, मछली, अण्डे आदि को सब्जियों के साथ बनाने से इनसे बने व्यंजनों में प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिन की मात्रा बढ़ जाती है।
दही में खीरा, टमाटर, प्याज, हरा धनियाँ आदि मिलाकर रायता बनाने से पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं।.
खाने के साथ सलाद का प्रयोग करके भी पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं।
2- अंकुरीकरण विधि द्वारा पौष्टिकता बढ़ाना - इस विधि में विभिन्न प्रकार के तृणधान्यों जैसे मूंग, सोयाबीन, चना, गेहूँ को अंकुरित पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं। अंकुरित अनाजों में विटामिन B कम्पलैक्स, आयरन, प्रोटीन तथा विटामिन C की मात्रा बढ़ जाती है। अंकुरित अनाज में नमक, नीबू का रस, प्याज, टमाटर, गाजर आदि मिलाकर खाने से इसकी पौष्टिकता और भी बढ़ जाती है। अंकुरित मूंग दाल को दही के रायता में प्रयोग कर पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं अंकुरित होने से ये पचने में आसान तथा पौष्टिक हो जाते हैं। कब्ज के रोगी के लिए ये बहुत फायदेमन्द होते हैं।
3- खमीरीकरण विधि द्वारा पौष्टिकता बढ़ाना - यदि शर्करा युक्त भोज्य पदार्थों को कुछ समय के लिए रख दिया जाता है तो उसमें खमीर उत्पन्न होने लगता है। खमीर उत्पन्न होने से खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता में वृद्धि हो जाती है। खमीरीकरण के कारण नॉन प्रोटीन नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। खमीरीकृत पदार्थों हल्के होने के कारण पचने में आसान होते है खमीरीकृत पदार्थों में विटामिन B कम्पलैक्स, विटामिन C में वृद्धि हो जाती हैं। नुकसान दायक तत्व जैसे फाटेट तथा टिप्सिन इन्हींवीटर की मात्रा घट जाती है तथा प्रोटीन, अमीनोंएसिड, लोहा की मात्रा बढ़ जाती हैं। खमीरीकृत पदार्थ जैसे ब्रेड, इडली, डोसा, ढोकला, नॉन, सोया सॉस, सिरका आदि है।
4- फोर्टिफिकेशन विधि द्वारा पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि - इस विधि में तैयार सामग्री में ऊपर से पौष्टिक तत्व मिलाये जाते हैं जिससे उस सामग्री की पौष्टिकता में वृद्धि हो जाती है। जैसे- गेहूँ के पीसने के बाद पैक करने से पहले उसमें विटामिन व खनिज लवण का प्रीमिन्स मिलाया जाता हैं।
5- पारचिंग विधि - पारचिंग विधि में चावल, मक्का, चना, मटर आदि को तेज ऑच पर भूनकर उनकी पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं।
इन भूने हुए अनाज को मिक्स करके खाने से बहुत फायदे मंद होते हैं इनकी पौष्टिकता में और अधिक वृद्धि करने के लिए इसमें नमक, नीबू, प्याज मिलाया जा सकता है।
6- पकाने की उत्तम विधि का प्रयोग कर पौष्टिकता में वृद्धि - भोजन पकाने की मुख्यतः चार विधियों का प्रयोग किया जाता है। जैसे जल द्वारा, हवा द्वारा, वाष्प द्वारा, वसा द्वारा। इन सभी विधियों का प्रयोग भोजन की पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं। जल द्वारा भोजन बनाते समय भोजन के साथ प्रयोग किए गये जल को फेंकना नहीं चाहिए क्योंकि भोजन में उपस्थित जल में घुलनशील विटामिन खनिज लवण जल में आ जाते है यदि इस जल को फेक दिया जाता है तो इसका ह्रास होता है।
भोज्य पदार्थ जैसे राजमा, चना उबालते समय सोडे का प्रयोग न करें इससे भोजन में उपस्थित पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। वे भोज्य पदार्थ जिन्हें छिलके सहित उबाल सकते हैं उन्हें छिलके सहित उबालना चाहिए ताकि इनके पौष्टिक तत्व पानी में न आ जायें। चावल का मांड नहीं निकालना चाहिए क्योंकि मांड निकालने से इसके सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थों को धीमी आंच पर पकाना चाहिए क्योंकि तेज आंच पर पकाने से भोजन में उपस्थित प्रोटीन कड़ी हो जाती है और भोज्य पदार्थ पक नहीं पाता जिससे इसका पोषक मूल्य घट जाता है।
खाद्य पदार्थों को ढक कर पकाना चाहिए जिससे पौष्टिक तत्व उड़ते नहीं है। खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता में वृद्धि करने के लिए प्रेशर कुकर में भोजन पकाना चाहिए प्रेशर कुकर में भोजन पकाने से कम समय में पौष्टिकता से भरपूर भोजन तैयार हो जाता है। पके भोजन को बार-बार गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि बार-बार गर्म करने से इनमें उपस्थित पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियों को पहले धोकर ही काटना चाहिए। काटकर धोने से काफी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। हरे पत्तेदार सब्जियों को लोहे की कढ़ाई में बनाने से भोज्य पदार्थ में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। बहुत देर तक भोजन को नहीं पकाना चाहिए इससे भोजन में उपस्थित पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। सब्जियों को बहुत मोटा छिलका नहीं उतारना चाहिए और जिन सब्जियों का छिलका ज्यादा कड़ा न हो तो उसे छिलके सहित ही पकाना चाहिए इससे खाने की पौष्टिकता में वृद्धि होती है।
उपर्युक्त सभी विधियों को ध्यान में रखकर यदि भोजन बनाया जाता है तो खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते है और पौष्टिक भोजन उपयोग करके अपने स्वास्थ्य में भी वृद्धि कर सकते हैं।
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